राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा आयोजित पशु परिचर भर्ती परीक्षा 2024 के नतीजे जारी होते ही नॉर्मलाइजेशन या स्केलिंग को लेकर नई बहस शुरू हो गई है कर्मचारी चयन बोर्ड के द्वारा कई पारियों के अंदर नंबर काफी कम कर दिए हैं वहीं कई पारियों के अंदर नंबर बढ़ा दिए हैं जिससे विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है पशु परिचर 6433 पदों के लिए हुई परीक्षा को छह पारियों में संपन्न कराया गया था। फाइनल रिजल्ट में स्केलिंग लागू होने के बाद पहली और चौथी पारी के अधिकांश उम्मीदवारों के 10 से 15 अंक कम हो गए हैं। इस कारण कई अभ्यर्थी जो न्यूनतम कटऑफ अंक पा चुके थे, वे चयन सूची से बाहर हो गए।
सोशल मीडिया पर कई छात्रों ने आरोप लगाया है कि 50 से अधिक अंक पाने के बावजूद भी चौथी पारी के अभ्यर्थियों का नाम पात्रता सूची में नहीं आया। उनका कहना है कि स्केलिंग की प्रक्रिया में पारियों के अनुसार कटऑफ में समुचित बदलाव नहीं किया गया है और न ही ग्रुप मेरिट जारी की गई है, जिससे भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
चार पारियों में अंक बढ़े, दो पारियों में घटे
पिछले वर्ष 1, 2 और 3 दिसंबर को छह पारियों में यह परीक्षा आयोजित हुई थी, जिसमें करीब 10 लाख 52 हजार से अधिक परीक्षार्थियों ने भाग लिया। न्यूनतम अंकों के आधार पर 406826 अभ्यर्थी उत्तीर्ण घोषित किए गए। अभ्यर्थियों का कहना है कि स्केलिंग लागू होने के बाद पहली और चौथी पारी में 10 से 15 अंक घटे, दूसरी पारी में 3 से 5 अंक बढ़े, तीसरी में 10 से 15 अंक और पांचवीं व छठी में 5 से लेकर 25 तक अंक बढ़ गए।
केवल दो पारियों से ही आधी मेरिट भरने की आशंका
कई छात्रों ने सोशल मीडिया पर लिखा कि स्केलिंग के कारण सिर्फ दो पारियों से ही लगभग 50% मेरिट पूरी हो सकती है। साथ ही चयन बोर्ड की ओर से इस बार पात्रता सूची भी जारी की गई है, जो पूर्व में केवल मेरिट सूची तक सीमित रहती थी। इस नई प्रक्रिया से काफी छात्र असमंजस में हैं और पारदर्शिता को लेकर सवाल उठा रहे हैं।
मार्क्स घटने-बढ़ने से परिणाम पर सीधा असर
नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया के कारण परीक्षार्थियों के अंक 15 से 20 तक घट या बढ़ सकते हैं, जिससे कटऑफ और मेरिट लिस्ट पर सीधा प्रभाव पड़ता है। पिछले वर्षों में भी देखा गया है कि स्केलिंग के कारण अलग-अलग पारियों के अभ्यर्थियों के अंकों में उतार-चढ़ाव हुआ है, जिससे मेरिट सूची में असमानता की स्थिति बनी रहती है।
अभ्यर्थियों का मानना है कि पारदर्शिता बनाए रखने के लिए परीक्षा बोर्ड को ग्रुप मेरिट और पारीवार मेरिट को स्पष्ट रूप से जारी करना चाहिए, ताकि सभी उम्मीदवारों को यह समझने में आसानी हो कि स्केलिंग प्रक्रिया ने उनके अंकों पर कैसा प्रभाव डाला है। इस प्रकार की प्रक्रिया से मेरिट सूची में अधिक स्पष्टता आएगी और अनावश्यक विवादों को रोका जा सकेगा।
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